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सर्वांगासन | Sarvangasana in Hindi

सर्वांगासन | Sarvangasana in Hindi – भूमि पर सोकर शरीर को ऊपर उठाया जाता है इसलिए इसको सर्वांगासन कहते हैं। शाब्दिक अर्थ सर्व का अर्थ पूरा, पूर्ण या सभी है और अंग का अर्थ शरीर भाग है चूंकि इस आसन में सभी अंग से योग क्रियाएँ हो जाती हैं और पूरा और लाभान्वित होता है इसलिए इस आसन का नाम सर्वांगासन है। वैसे इस आसन को शीर्षासन के पश्चात् सबसे महत्त्वपूर्ण माना गया है। इस आसन को आसनों का राजा भी कहा जाता है।

ध्यान:- सहवार चक्र छोड़कर सम्पूर्ण कुंडलिनी का ध्यान करें। विशेष रूप से विशुद्धि चक्र पर।

श्वासक्रम/ समय :- आसन करते समय और वापस आते समय अंतःकुंभक करें एवं पूर्ण आसन पर स्वाभाविक श्वास चलने दें। आधे से 5 मिनट तक कर सकते हैं। अभ्यास हो जाने पर समय बढ़ाएँ।

Sarvangasana in Hindi

Table of Contents

  1. Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन कैसे करें? | How to do Sarvangasana in Hindi :
  2. Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन के लाभ | Benefits of Sarvangasana in Hindi :
  3. Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन की सावधानियाॅं | Precautions in Sarvangasana in Hindi :
      1. विशेष :

Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन कैसे करें? | How to do Sarvangasana in Hindi :

विधिः भूमि पर बिछे हुए आसन पर चित्त होकर लेट जाएँ। श्वास को बाहर निकाल कर अर्थात रेचक करके कमर तक के दोनों पैर सीधे और परस्पर लगे हुए रखकर ऊपर उठाएं। फिर पीठ का भाग भी ऊपर उठाएं। दोनों हाथों से कमर को आधार दें। हाथ की कुहनियाँ भूमि से लगे रहें। गरदन और कन्धे के बल पूरा शरीर ऊपर की और सीधा खड़ा कर दें। ठोडी छाती के साथ चिपक जाए। दोनों पैर आकाश की ओर रहें। दृष्टी दोनों पैरों के अंगूठों की ओर रहे। अथवा आँखें बन्द करके चित्तवृत्ति को कण्ठप्रदेश में विशुद्धाख्य चक्र में स्थिर करें। पूरक करके श्वास को दीर्घ, सामान्य चलने दें।

इस आसन का अभ्य़ास दृढ़ होने के बाद दोनों पैरों को आगे पीछे झुकाते हुए, जमीन को लगाते हुए अन्य आसन भी हो सकते हैं। सर्वांगासन की स्थिति में दोनों पैरों को जाँघों पर लगाकर पद्मासन भी किया जा सकता है।

प्रारम्भ में तीन से पाँच मिनट तक यह आसन करें। अभ्यासी तीन घण्टे तक इस आसन का समय बढ़ा सकते हैं।

Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन के लाभ | Benefits of Sarvangasana in Hindi :

  • सर्वांगासन के नित्य अभ्यास से जठराग्नि तेज होती है।
  • साधक को अपनी रूचि के अनुसार भोजन की मात्रा बढ़ानी चाहिए।
  • सर्वांगासन के अभ्यास से शरीर की त्वचा लटकने नहीं लगती तथा शरीर में झुर्रियाँ नहीं पड़तीं।
  • बाल सफेद होकर गिरते नहीं।
  • हर रोज़ एक प्रहर तक सर्वांगासन का अभ्यास करने से मृत्यु पर विजय मिलती है, शरीर में सामर्थ्य बढ़ता है। तीनों दोषों का शमन होता है। वीर्य की ऊर्ध्वगति होकर अन्तःकरण शुद्ध होता है। मेधाशक्ति बढ़ती है, चिर यौवन की प्राप्ति होती है।
  • इस आसन से थायराइड नामक अन्तःग्रन्थि की शक्ति बढ़ती है। वहाँ रक्तसंचार तीव्र गति से होने लगता है, इससे उसे पोषण मिलता है। थायराइड के रोगी को इस आसन से अदभुत लाभ होता है। लिवर और प्लीहा के रोग दूर होते हैं।
  • स्मरणशक्ति बढ़ती है। मुख पर से मुँहासे एवं अन्य दाग दूर होकर मुख तेजस्वी बनता है। जठर एवं नीचे उतरी हुई आँतें अपने मूल स्थान पर स्थिर होती हैं। पुरूषातन ग्रन्थि पर सर्वांगासन का अच्छा प्रभाव पड़ता है। स्वप्नदोष दूर होता है।
  • मानसिक बौद्धिक प्रवृत्ति करने वालों को तथा विशेषकर विद्यार्थियों को यह आसन अवश्य करना चाहिए।
  • मन्दाग्नि, अजीर्ण, कब्ज, अर्श, थायराइड का अल्प विकास, थोड़े दिनों का अपेन्डीसाइटिस और साधारण गाँठ, अंगविकार, असमय आया हुआ वृद्धत्व, दमा, कफ, चमड़ी के रोग, रक्तदोष, स्त्रियों को मासिक धर्म की अनियमितता एवं दर्द, मासिक न आना अथवा अधिक आना इत्यादि रोगों में इस आसन से लाभ होता है। नेत्र और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। उनके रोग दूर होते हैं।
  • थायराइड के अति विकासवाले, खूब कमजोर हृदयवाले और अत्यधिक चर्बीवाले लोगों को किसी अनुभवी की सलाह लेकर ही सर्वांगासन करना चाहिए।
  • शीर्षासन करने से जो लाभ होता है वे सब लाभ सर्वांगासन और पादपश्चिमोत्तानसन करने से मिल जाते हैं। शीर्षासन में गफलत होने से जो हानि होती है वैसी हानि होने की संभावना सर्वांगासन और पादपश्चिमोत्तानासन में नहीं है।
  • यदि हम इसे कायाकल्पासन कहें, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मूल रूप से इस आसन का प्रभाव थायरॉइड ग्रंथि, मेरुदण्ड, हृदय एवं पैरों से सम्बंधित सभी रोगों पर पड़ता है।
  • आसन करने पर रक्त की मात्रा बढ़ जाने से ग्रंथि की कार्यक्षमता बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता
  • जिनकी बुद्धि हमेशा प्रमित रहती है, काम करने में मन नहीं लगता, उनको यह आसन लगभग 6 महीने तक कम से कम 3 से 5 मिनट तक अवश्य करना चाहिए।
  • मिर्गी रोग और कमज़ोर मस्तिष्क वालों के लिए यह आसन अत्यंत लाभकारी है।
  • स्त्रियाँ क्रमशः इस अभ्यास को कर कई रोगों से छुटकारा पा सकती है।
  • वायु गोला टल जाने पर इस आसन को एक ही समय में चार से छह बार अवश्य करना चाहिए। यह आसन पुर्नयोवन देता है।
  • बालों का झड़ना रोकता है, चेहरे को साफ़, चमकदार व तेजोमय बनाता है।
  • कामशक्ति को व्यवस्थित कर काम-विकार का शमन करता है।
  • नेत्र ज्योति, निम्न रक्तचाप, पाचन संस्थान, रक्त-विकार व प्रमेह आदि रोगों के लिए यह नितांत उपयोगी है।
  • शीर्षासन से मिलने वाले लाभ भी इस आसन से मिल जाते हैं।
  • इस आसन को नियमित करने से संपूर्ण शरीर स्वस्थ्य रहता है।

Sarvangasana in Hindi | सर्वांगासन की सावधानियाॅं | Precautions in Sarvangasana in Hindi :

● उच्च रक्तचाप, हृदय सम्बंधी बीमारी वाले साधक किसी योग्य गुरु के निर्देशन में करें।

● सर्वाइकल स्पॉण्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क एवं यकृत के विकार वाले इस आसन को न करें।

नोट: वे व्यक्ति जो सर्वंगासन नहीं लगा सकते वे विपरीत करणी आसन अपनी क्षमतानुसार लगा सकते हैं।

विशेष :

पद्म सर्वांगासन लगाने के लिए सर्वांगासन की अंतिम स्थिति में पहुँचकर पद्मासन लगाएँ या पहले पदमासन लगाएँ फिर सर्वांगासन की स्थिति में पहुँच जाए तो वह पदम साँगासन कहलाएगा। एक पाद सर्वंगासन के लिए एक पैर को कमर से मोड़कर सामने सिर की तरफ़ जमीन से स्पर्श कराए।

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