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लय योग | Laya Yoga in Hindi

लय योग | Laya Yoga in Hindi – समस्त कामना, वासना, आसक्ति तथा कोई भी संकल्प, विकल्प की जाल से मुक्त होकर चित्त की वृत्ति को शून्य बनाकर शांत अवस्था प्राप्त करने की चेष्टा करने को लय योग कहते हैं। लय योगियों का विश्वास है, कि स्वयं प्रकाश, आत्म तथा शुद्ध शांत चित्त में स्वयं उदय होता है। सृष्टि के आरंभ में प्रकाश अखंड एक रस एक ही अद्वैत ब्रह्म था।

उसके सिवा दूसरा कोई भी ना था। स्पंदन और अस्पंदन नामक दो शक्तियां शिव रूप इस ब्रह्म में निगूढ़ थी। प्राणियों के कर्मविपाक के द्वारा लय के बाद सृजन होता ही है। इस नियम के अनुसार ब्रह्मा में स्वभावतः संकल्प स्फुरित हुआ। “बहुस्याम प्रजायेय”। इस  संकल्प की इच्छाशक्ति मात्र से ही स्पंदन और अस्पंदन शक्तियों का संयोग हुआ और एक महाशक्ति उत्पन्न हुई, गुण त्रय की साम्यावस्था रूपजड़ चेतन विभागमयी वह  महाशक्ति ही प्रकृति है। दर्पण में जैसे सूर्य का प्रतिबिंब पड़ता है, वैसे ही चिदात्त्मा के प्रकृति में प्रतिबिंब होते ही प्रकृति के दो रूप हो गए।

Laya Yoga in Hindi

स्पंदन आशा में समय प्रकृति का जड़ंज परा प्रकृति के लय और स्पष्ट और स्पंदना को परा प्रकृति माना गया सूर्य एक होते हुए भी अनेक स्थलों में प्रतिबिंबित हो सकता है, उसी प्रकार परब्रह्म अद्व होते हुए भी प्रकृति, झरने, विभक्ति के द्वारा तीन महा शक्तियों के रूप में भासमान होता है। ब्राह्मी, वैष्णवी और माहेश्वरी शक्ति के रूप में यह तीनों महाशक्ति या जगत की उत्पत्ति स्थिति और लय का कारण बनी। ब्रह्मा विष्णु और महेश्वर यह इन तीनो शक्तियों के अधिष्ठाता देव है। यह तीनों महा शक्तियां सृष्टि “संकल्प शक्तयः”  के नाम से प्रसिद्ध है।  

इनमें से प्रत्येक शक्ति में परब्रह्म के ईक्षण  द्वारा प्रवत्त हुई शक्ति की प्रेरणा से कितने ही विशेष प्रकार के संशोभ होने लगे इन संशोभ के परिणाम से अकार में से एक सूक्ष्म शब्द उत्पन्न हुआ उकार में से एक स्थान शब्द उतपन्न हुआ , मकार में से एक अत्यंत स्थूल शब्द उत्पन्न हुआ । इस शब्द को योगिक विज्ञान में नाद नाम से पुकारा जाता है।

Laya Yoga in Hindi | लय योग करने की सरल विधि | Easy Way to Do Laya Yoga in Hindi :

साधक को नियम से शुरू होकर योग साधना के स्थान पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठना चाहिए। जिनको निर्वाण मुक्ति की इच्छा हो उनको पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। जिस जिस आसन का अभ्यास हो उसे वही आसन लगाकर मस्तक, गर्दन, पीठ, और उदर को बराबर सीधा रखकर अपने शरीर को सीधा करके बैठना चाहिए  तत्पश्चात नाभि मंडल में दृष्टि जमाकर कुछ देर तक पलक नहीं मारना चाहिए। नाभी मंडल में दृष्टि व मन लगाने से निश्वास धीरे-धीरे जितना कम होता जाएगा मन भी उतना ही स्थिर होता जाएगा ।

 मन को स्थिर करने का सरल उपाय दूसरा नहीं है  त्राटक योग से भी मन स्थिर होता है परंतु अनियम से आंखें खराब होने का भय रहता है। इस विधि के समय यदि थोड़ी-थोड़ी वायु धारण की जाए तो नाद ध्वनि शीघ्र ही सुनाई पड़ती है। नाद की साधना करने पर ध्वनि सुनाई पड़ेगी। ऐसी ध्वनियां सुनते सुनते कभी रोमांच हो जाता है। कभी चक्कर आने लगता है। कभी-कभी कंठकूप जल से पूर्ण हो जाता है ,लेकिन साधक को इस ओर ध्यान न देकर अपना क्रम जारी रखना चाहिए और नाद की ध्वनि में मोहित ना होकर शब्द सुनते सुनते चित्त को लय कर देना चाहिए।  

ब्रह्मांड के मध्य स्थित है ब्रह्मलोक, हमारे ग्रहमंडल के बीच स्थित है सूर्यलोक, उसी तरह हमारे मस्तिष्क के मध्य में स्थित है ब्रह्मरंध। आंखें बंद कर अपना संपूर्ण ध्यान ब्रह्मरंध पर केंद्रित करके ब्रह्म में लीन हो जाना ही लय योग ध्यान कहलाता है। लय योग के 9 अंग माने जाते हैं जो इस प्रकार से है- यम, नियम, स्थूल क्रिया, सूक्ष्म क्रिया, प्रत्त्याहार, धारणा, ध्यान, लय क्रिया और समाधि हालांकि लय योग एक विस्तृत विषय है, लेकिन सामान्यजन यदि सिर्फ लय योग ध्यान से ब्रह्मरंध पर ही ध्यान देते रहें तो लय सध जाता है, क्योंकि यही शक्ति का केंद्र है।  

Laya Yoga in Hindi | लय योग की सामान्य विधि | General Method of Laya Yoga in Hindi :

शांत स्थान पर सिद्धासन में बैठकर आंखें बंद कर ध्यान को मस्तिष्क के मध्य लगाएं। मस्तिष्क के मध्य नजर आ रहे अंधेरे को देखते रहें और आनंदित होकर सांसों के आवागमन को महसूस करें। पांच से दस मिनट तक ऐसा करें।  

Laya Yoga in Hindi | लय योग ध्यान का लाभ | Benefits of Laya Yoga Meditation in Hindi :

उक्त ध्यान को निरंतर करते रहने से चित्त की चंचलता शांत होती है। सकारत्मक शक्ति बढ़ती है। इससे मस्तिष्क निरोगी, शक्तिशाली तथा निश्चिंत बनता है। सभी तरह की चिंता, थकान और तनाव से व्यक्ति दूर होता है।  

 
 
 

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